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तोड़ दो मेरे पंख चाहें तोड़ दो मेरे पंख चाहें, मै

तोड़ दो मेरे पंख चाहें

तोड़ दो मेरे पंख चाहें, मैं अहसाओं का आसमां बना लूंगा,
जब तक रहेगी ज़िंदगी, मैं पर्वतों पर भी फूल खिला लूँगा। 

नादानों से भरी है दुनियां, मैं खुद को अनजान बना लूँगा,
तड़पते हुयें इस दिल को, जूठे लोगों का शमशान बना लूँगा। 

धरती को चिर निकलूंगा पानी, मैं अपनी प्यास बुझा लूँगा,
ज़िंदगी से क्या उम्मीद करूँ, मैं मौत को भी गले लगा लूँगा।
 तनहा शायर हूँ यश















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©Tanha Shayar hu Yash
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