मक़ान है ये तेरा मेरा.... बनायेंगे इसे घर अपने प्यार से सजाएँगें इसको.... आपसी समझ और अपनेपन में, ज़िंदगी होगी हमारी बसर दिखा देंगे दुनिया को, मक़ान को घर कैसे हैं बनाते लगे ना इसे किसी की नजर नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH1 के साथ और "मकान" पर कविता लिखें। (मूल कविता कैफ़ी आज़मी द्वारा) • समय सीमा : 24 घंटे • कैपशन में संक्षिप्त विस्तारण करने की अनुमति है।