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एक दिन जंग का ऐलान हुआ, दाओ पे हर हिन्दू मुस्लमान

एक दिन जंग का ऐलान हुआ,
दाओ पे हर हिन्दू मुस्लमान  हुआ,
सब उठा तलवारे जब लड़ने लगे,
खून की नदियां फिर बहने लगी।
बस्ती बस्ती यूँही जलती गयी,
चीखों में नफरत पलती गयी,
बच्चे, बूढ़े किसकी फिर जान बचे,
सब जान कुर्बानियां चढ़ती गयीं।।
औरतों पे जुल्म भी गेहरा हुआ,
घाव देख उनके, लिहाज़ भी था सिहरा हुआ,
कोई किसीके हवस का शिकार बनी,
तो कोई लड़ते लड़ते बेजान पड़ी।
पर इससे किसे फर्क था पड़ गया,
कुदरत भी मौत का ये दृश्य देख डर गया।।
भाई भाई  यहां फिर कटते रहे,
शांति की आस में, घर सभी के उजड़ते रहे,
न हिन्दू थमे न ही मुसलमान रुके,
सब धीरे धीरे मिट गए , जाने कौन महान बने!?

अंत में सिर्फ एक एक जब बच गए,
सामने एक दूजे के आ तन गए,
तब कानों में, कोने पे बैठी एक बच्ची की गुहार पड़ी,
रोने से जिसकी थी दांत लगी,
नाम उसने अपना इंसानियत बतलाया,
उन दोनों को भाई भाई, और वो उनकी मजहब है ये बात समझाया।।
कोशिश उसने की तो काफी थी,
पर एक बस वही तो थी, जिसकी मौत बाकी थी।।
मिल के फिर लात लात वे उसको मारते रहे,
हर घुटती साँस पे जश्न मनाते रहे,
अंत में दम तोड़ इंसानियत भी जब मर गयी,
विजेता उन दोनों को घोषित कर गयी।।

© अंकित कुमार




















 Insaniyat
एक दिन जंग का ऐलान हुआ,
दाओ पे हर हिन्दू मुस्लमान  हुआ,
सब उठा तलवारे जब लड़ने लगे,
खून की नदियां फिर बहने लगी।
बस्ती बस्ती यूँही जलती गयी,
चीखों में नफरत पलती गयी,
बच्चे, बूढ़े किसकी फिर जान बचे,
सब जान कुर्बानियां चढ़ती गयीं।।
औरतों पे जुल्म भी गेहरा हुआ,
घाव देख उनके, लिहाज़ भी था सिहरा हुआ,
कोई किसीके हवस का शिकार बनी,
तो कोई लड़ते लड़ते बेजान पड़ी।
पर इससे किसे फर्क था पड़ गया,
कुदरत भी मौत का ये दृश्य देख डर गया।।
भाई भाई  यहां फिर कटते रहे,
शांति की आस में, घर सभी के उजड़ते रहे,
न हिन्दू थमे न ही मुसलमान रुके,
सब धीरे धीरे मिट गए , जाने कौन महान बने!?

अंत में सिर्फ एक एक जब बच गए,
सामने एक दूजे के आ तन गए,
तब कानों में, कोने पे बैठी एक बच्ची की गुहार पड़ी,
रोने से जिसकी थी दांत लगी,
नाम उसने अपना इंसानियत बतलाया,
उन दोनों को भाई भाई, और वो उनकी मजहब है ये बात समझाया।।
कोशिश उसने की तो काफी थी,
पर एक बस वही तो थी, जिसकी मौत बाकी थी।।
मिल के फिर लात लात वे उसको मारते रहे,
हर घुटती साँस पे जश्न मनाते रहे,
अंत में दम तोड़ इंसानियत भी जब मर गयी,
विजेता उन दोनों को घोषित कर गयी।।

© अंकित कुमार




















 Insaniyat
ankitkumar4492

Ankit Kumar

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