कागज जब मन मे उमड़ रहे भावों को ,कहना मुश्किल हो जाता है जब सबकुछ साझा करने को, ये ह्रदय आतुर हो जाता है जब मरे शुख दुःख हर्ष शोख का,साथी कोई नही होता तब सहनशीलता आवारा सा वो कागज साथ निभाता है जब शिशु के पहले स्पर्श का वर्णन ,कोई कवि बतलाता है तब मानो वो कागज खुद को ,सौभाग्यशाली सा पाता है उसका पहली बार मुझे माँ कहना,मानो मेरी दुनिया ही सिमट गई थी उसमे जब ऐसा नाजुक सा पहलू पन्ने पे उकेरा जाता है तब मानो उस कागज का भी मन गदगद हो जाता है लेकिन जब वही सन्तानें मुँह मोड़कर जाती हैं तब झुर्रियों सा कुंठित केबल वो कागज ही साथ निभाता है जब मादकता से लिप्त कोई प्रेम प्रसंग सुनाया जाता है तब मानो उस कागज को भी दुल्हन सा सजाया जाता है अलंकार वो पहने इतने मन ही मन शर्माता है और समाज के बागी उस प्रेम युगल का केबल वो कागज ही साथ निभाता है कल रात गोलाबारी में 10 सैनिक शहिद हो गए ये सुन कर एक माँ के कोमल मन सा वो कागज भी छल्ली हो जाता है आँशु बहाए या गर्व करे खुदको इस असमंजस में पाता है है टूट बिखर सा उस विधवा के कंगन सा रंगविहीन हो जाता है फिर स्वेत शाडी सा फीखा तन्हा केबल वो कागज ही साथ निभाता है शायद जब तक आप इसे पढ़ेंगे में दुनियां से जा चुका होऊंगा कागज का वो छोटा टुकड़ा जब सुसाइड नोट बन जाता है हत प्रभ रहकर सन्नाटे सा मानो वो पन्ना भी मर जाता है इतनी पीड़ा का बोझ लिए जब व्याकुलता से भर जाता है औजार बना सा कोर्ट कचहरी केबल वो कागज ही साथ निभाता है गीता कुरान वायबल में बंध कर सब धर्मों का लुप्त उठाता है फिर भी वो कोरा कागज वे धर्म बना रह जाता है ओर शायद इसीलिए घूमता मस्त बगुले सा सरहद नही निभाता है अरे क्या ऊंच नीच क्या भेदभाव वो कागज तो सबका साथ निभाता है #brokenheart