वक़्त से नाराज हूं वक्त से अनजान है, कुछ पता पता नहीं है, जानने की जिज्ञासा पाने की लालसा खोने को कुछ नहीं, पाने को बहुत कुछ भटकता हूं दरबदर कहता किसी से कुछ भी नहीं सोचता हूं बहुत करने को सोचा था बहुत प र कर नहीं पा रहा हूं घेर लिया है अपनों ने ढेर किया है अपनों ने, जाने को मैं चला जाऊं रोकने पर रुको नहीं पर कुछ होते हैं ऐसे अपने, जिन्हें इनकार नहीं कर सकता भावना की उमर रेखा, हाय कुछ ज्यादा नहीं पर देखने में लगता है कि वह खत्म होगी नहीं, एक बार मिल जाए वह मुझे तो बताओ मैं हूं, क्या सोचने को सोचता बहुत पढ़कर कुछ नहीं पाता ठान लिया मैंने,, पाना है मुझे अपना लक्ष्य पर वक्त ने बताया ही नहीं लक्ष्य है क्या मेरा किसी महानुभावों ने बताया मुझे लक्ष वक्त नहीं तुझे पता करना है मैं यह समझ पाता वक्त ने ले ली करवट हो गई अपनों से जुदाई! नहीं रहा साथ कोई घोर अंधेरा ! घोर अंधेरा! छाया चारों तरफ फिर वक्त ने अंगड़ाई ली उसने कहा मुझसे बीता कुछ भी नहीं अभी तेरे पास बहुत कुछ है ; सोच बंदे तेरे अंदर क्या है खास तू समझ अपने को मत देख परियों को क्योंकि तेरी आबादी तेरे पर निर्भर है तेरी बर्बादी मेरे पर निर्भर है कुछ करना चाहता है अलग! तो कर सोच मत क्योंकि जीवन मरण जस अपजस है मेरे हाथ तो बचा सिर्फ कर्म ही तेरे हाथ कर्म को कर यह मत सोच कि! तू असफल होगा देख खुद अपने को बार-बार जान अपनी शक्ति को बार बार झांक अंदर है असीम ऊर्जा जानेगा तेरे अंदर है अजीब ऊर्जा अनंत ऊर्जा का भंडार है तू असीमित अपरिमित इच्छा का संसार है तू देख खुद को जान खुद को मैं तुझे कुछ नहीं कहूंगा! जान ले खुद को मानले खुद को यह मत सोच कि तू हारेगा क्योंकि जो हारा है वही जीतेगा जो जीता है वही हारेगा जीत किसी की है नहीं हर किसी का है नहीं सभी का हार है सभी का जीत है तू सोचता है तू आज हारा है मैं सोचता हूं तू कल जीतेगा! सब कुछ सोच पर निर्भर है तो कर्म कर देख इसको तेरे कर्म में कितनी गहराई कितनी सच्चाई कितनी खिलाई है कर बड़ा कुछ देख बड़ा कुछ सोच बड़ा कुछ नहीं है तुझसे बड़ा कोई देखते संसार को कोई देखते-देखते संसार को निहारता! कोई देखते देखते सिर्फ देखता है देखना तो कर्म है लेकिन अपना धर्म निभाना सच्चा कर्म है अगर जाने का खुद को मानेगा खुद को तभी जान पाएगा आगे नहीं तो बैठा रह जाएगा जहां पर है तू अभी वही कल ही रह जाएगा पूछता क्यों है बार-बार कर्म करते जाओ धर्म को निभाते जाओ यह मत सोच कि तेरे साथ क्या होगा! जिस दिन तू यह छोड़ देगा सोचना तेरे साथ क्या होगा उसी दिन तू अमर हो जाए अमर का अर्थ यह नहीं कि तू मरेगा नहीं अमर तो व्यक्ति जीवन से होता नहीं कर्म से होता है! क्या कोई जीवित व्यक्ति अमर हो पाया है तू कहेगा नहीं पर मैं तुझे कहूंगा अगर कोई नहीं हुआ तो तू क्यों नहीं होता! सोच मत बैठ मत कर्म करते जा! कर्म करते हैं! आधुनिक विचार था