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स्याह रातों से उबर कर जगमगाना चाहता हूँ; मैं ज़िन्द

स्याह रातों से उबर कर जगमगाना चाहता हूँ;
मैं ज़िन्दगी के सफ़हे से तल्खी मिटाना चाहता हूँ।

ऊब जाता हूँ अपनी रंजिशों से अक्सर बहुत;
अब दर्द का हिस्सा बहुत कुछ भूल जाना चाहता हूँ।

कुछ बेरंग सी होती जा रही है ज़िन्दगी इनमें;
अब ज़िन्दगी में कुछ रंग नए आज़माना चाहता हूँ।

ख़ुद का दामन भी दाग़दार कर बैठा हूँ मैं;
किसी और के गुनाह से ख़ुद को बचाना चाहता हूँ।

दिखने लगी हैं खामियाँ ख़ुद अपने अक़्स में मुझको;
भूल कर ये रंज-ओ-ग़म फिर ख़ुद को पाना चाहता हूँ। #अभिशप्त_वरदान #yqbaba #yqdidi 
#रंजिशें
स्याह रातों से उबर कर जगमगाना चाहता हूँ;
मैं ज़िन्दगी के सफ़हे से तल्खी मिटाना चाहता हूँ।

ऊब जाता हूँ अपनी रंजिशों से अक्सर बहुत;
अब दर्द का हिस्सा बहुत कुछ भूल जाना चाहता हूँ।

कुछ बेरंग सी होती जा रही है ज़िन्दगी इनमें;
अब ज़िन्दगी में कुछ रंग नए आज़माना चाहता हूँ।

ख़ुद का दामन भी दाग़दार कर बैठा हूँ मैं;
किसी और के गुनाह से ख़ुद को बचाना चाहता हूँ।

दिखने लगी हैं खामियाँ ख़ुद अपने अक़्स में मुझको;
भूल कर ये रंज-ओ-ग़म फिर ख़ुद को पाना चाहता हूँ। #अभिशप्त_वरदान #yqbaba #yqdidi 
#रंजिशें
gautamanand4109

Gautam_Anand

Bronze Star
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