असाधारण होने की होड़ लगी हो जहाँ वहां साधारण होने की बड़ी कीमत चुकानी होती है ********** कुछ अलग ही हमने भी शख्सियत है पाई बेगुनाह हो कर भी नज़रे अपनी ही झुकाई परवाह की अगन में नींदे अपनी ही झुलसाई उलझी हुई दुनिया हमें समझ नहीं आई बस यही वजह है कि हमने हर बार सरल होने की बड़ी कीमत है चुकाई खुद के मुरझाने की न की फिक्र कभी कुछ इस तरह हमने, अपनी बगिया महकाई हुआ अंधेरा तो समझ आया कि किसी और से गिला बेमानी है हो न पाई जब अपनी ,खुद अपनी ही परछाई रिश्तों ने खेली शतरंज कदम कदम और हर बार हमने मात ही खाई लाख ढाला खुद को हालात के सांचे में मगर फिर भी ,कृत्रिमता की झलक छलक ही आईठ हाँ ये सच है कि ये दुनिया हमें रास नहीं आई मगर एक सुकून नज़र आया ,खुद से जब भी नज़रे मिलाई मिला हर बार जबाब यही कि हाँ इसी की खातिर हमने बड़ी कीमत चुकाई (राखी की क़लम से) #बड़ी कीमत चुकाई #ज़िदंगी #सरल होना बहुत कठिन है