ना जाने क्यु खमोशी है तेरे मेरे दरम्यान इश्क की शाम है पर कुछ नराज्गी है तेरे मेरे दरम्यान् मुहं फेर कर युं जताओगे अपनी बैचेनी को अपनी "भावना" को सुना दो अपने ही लफ्जो से मत सोच की मै तुझ से इकरार नही कर रहा मेरे सनम बस मसलो मै उलझा परिन्दा हुं उडान नही भर रहा क्या छुपाऊं तुझ से ,सब जानती हो अगर अभी भी जाना ,है जा सकती हो!! ©Bh@Wn@ Sh@Rm@ #नारजगी Udass Afzal khan ❣️Dard ki jaan