आज फिर याद आए वो कॉलेज के दिन,वो कॉलेज के लेक्चर दोस्तो के संग , क्लास में पीछे बैठने की होड़ लगाना ,क्लास टीचर की मिलकर खिल्ली उड़ाना। क्लास में चुपके से घुसकर अना, बैक बेंच पर तबले बजाना , याद नहीं हमें तो बस कैंटीन की चाय , क्युकी हमारी कैंटीन ना ऐसी थी भाई। लंच में याद है जंत्री का खाना , जिसे चुपके से क्लास में लना, अरविंद तिवारी सर का क्लास में आना,हिंदी में सबको दण्ड बजाना , अंग्रेजी में राठौड़ सर का आना, आकर नया अंग्रेजी का Rule सीखना, चाहता हूं उन यादों को दिल में बसाना, फिर से नया कॉलेज जमाना । अब तो खत्म हुए वो कॉलेज के दिन ,दिल में है बस यादें याद है लेकिन दोस्तो से किए हुए वो वादे, अब मिलकर फिर कभी पार्टी जमाएंगे मस्ती के दिन वापस लायेगे, बनायेगे फिर से उन यादों को ताजा ,जो दिन हमने मस्ती में गुजारे।