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क्या सोचता हूँ ऐ जिंदगी,तुझसे छिपा क्या है। रस्मे

क्या सोचता हूँ ऐ जिंदगी,तुझसे छिपा क्या है।
रस्मे वफा में अब कुछ भी रहा क्या है ।।

©Shubham Bhardwaj
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