काटी है इक उम्र इंतज़ार में तेरे मेरे इन्तज़ार को ख़त्म करने आज आओगे ना..? बनना-सँवरना छोड़ दिया है मैने मेरी सादगी में चार चाँद लगाने आज आओगे ना..? कभी कहा था मृगनयनी मुझे आज उन आँखों में वही चमक जगाने आज आओगे ना...? बुने थे जो ख़्वाब मिलकर हमने उनको सच करने का वक़्त कभी आएगा..? इस बात का विश्वास दिलाने आज आओगे ना...? एक अदना सी हूँ मैं, क्या अपने प्रेम की मल्लिका बनाने आज आओगे ना...? सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 आपके अल्फ़ाज़ शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻 सभी प्रतिभागी अपनी अभिव्यक्ति के लिए पूर्ण स्वतंत्र हैं 💗 पंक्तियों की बाध्यता नहीं है. 1. फॉन्ट छोटा रखें और बॉक्स में लिखें