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दादू दादी की लाडली है वो, अपने पिता के सिर का ताज

दादू दादी की लाडली है वो, अपने पिता के सिर का ताज है,
मम्मी से डरकर रहती है जो, वो कुटुम्ब का सुंदर साज़ है,

समय को अपने महत्ता देकर वो संघर्ष करना जानती है,
दुनिया में कोई बुरा नहीं है, वो सबको एक समान मानती है,

ना अच्छा ना बुरा समझती, जिसका दोस्ती ही आधार है,
सबको परखा करती है वो, ऐसा उसका किरदार है,

सरल हृदय है, मृदुभाषी है, मन में सिर्फ परोपकार है,
जन्मदिन जिसका है आज, वो किसी देवी का अवतार है,

खुश रहो आबाद रहो, जीवन में कभी कोई दुख ना हो,
हर सुख से भरपूर रहो, समस्या का कभी भी रूख ना हो,

और रोज नये अवसर उभरें हों, सफलता तुम्हें बारम्बार मिले,
है दुआ मेरी यही रब से, तुम्हें बहार-ए-चमन हर बार मिले..!!

#विरक्ति ✍🏻
@RealAastha

©स्वप्निल श्रीवास्तव #lalishq दादू दादी की लाडली है वो, अपने पिता के सिर का ताज है,
मम्मी से डरकर रहती है जो, वो कुटुम्ब का सुंदर साज़ है,

समय को अपने महत्ता देकर वो संघर्ष करना जानती है,
दुनिया में कोई बुरा नहीं है, वो सबको एक समान मानती है,

ना अच्छा ना बुरा समझती, जिसका दोस्ती ही आधार है,
सबको परखा करती है वो, ऐसा उसका किरदार है,
दादू दादी की लाडली है वो, अपने पिता के सिर का ताज है,
मम्मी से डरकर रहती है जो, वो कुटुम्ब का सुंदर साज़ है,

समय को अपने महत्ता देकर वो संघर्ष करना जानती है,
दुनिया में कोई बुरा नहीं है, वो सबको एक समान मानती है,

ना अच्छा ना बुरा समझती, जिसका दोस्ती ही आधार है,
सबको परखा करती है वो, ऐसा उसका किरदार है,

सरल हृदय है, मृदुभाषी है, मन में सिर्फ परोपकार है,
जन्मदिन जिसका है आज, वो किसी देवी का अवतार है,

खुश रहो आबाद रहो, जीवन में कभी कोई दुख ना हो,
हर सुख से भरपूर रहो, समस्या का कभी भी रूख ना हो,

और रोज नये अवसर उभरें हों, सफलता तुम्हें बारम्बार मिले,
है दुआ मेरी यही रब से, तुम्हें बहार-ए-चमन हर बार मिले..!!

#विरक्ति ✍🏻
@RealAastha

©स्वप्निल श्रीवास्तव #lalishq दादू दादी की लाडली है वो, अपने पिता के सिर का ताज है,
मम्मी से डरकर रहती है जो, वो कुटुम्ब का सुंदर साज़ है,

समय को अपने महत्ता देकर वो संघर्ष करना जानती है,
दुनिया में कोई बुरा नहीं है, वो सबको एक समान मानती है,

ना अच्छा ना बुरा समझती, जिसका दोस्ती ही आधार है,
सबको परखा करती है वो, ऐसा उसका किरदार है,