जब मैं अनंत ऊँचाई पर था तब जाकर तुमने बताया की प्रेम नहीं है . . . वैसे ऊँचाई इसलिए थी क्यूँकि चंद्रमा तुम्हारी ज़िद थी और तुम मेरी . . अब जो गिर गया हूं यहाँ से तो हड्डियों की तरह कई अरमान भी टूट गए है बस अब किसी वृक्ष की पर्णहीन शाखाएँ अगर मुझे सहारा दे दें , तो मैं जीवित रहूँगा कमर से ह्रदय तक . . अधूरा