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Silence आखिर.... देश की समस्याओं पर सब चुप क्यों??

Silence आखिर....
देश की समस्याओं पर सब चुप क्यों??
देव.. देश की समस्याओं पर सब चुप क्यों

 इस समय बसपा प्रमुख मायावती की कुनवा परस्ती और  दौलत के दोहन पर सोशल मीडिया पर आक्रामक तेवर दिखाई पड़ रहे हैं।माना बसपा की कार्यप्रणाली से बहुत लोग खुश नहीं हैं,और उनका आक्रोश भी बहुत हद तक सही हो सकता है।पर क्या एक व्यक्ति या एक दल की बुराई कर बहुजन मूवमेंट को सुधारा जा सकता।मेरा मानना है कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन बहुजन हित में काम नहीं कर रहा तो बहुजन समाज धीरे धीरे उस संगठन या नेता को स्वयं नकार देगा
   पर प्रश्न यह भी है कि क्या किसी ने विकल्प तैयार किया।यदि नहीं तो बहुजन समाज फिर कहां जाय?
        इसके अलावा बहुजन समाज की ज्वलंत समस्यायों पर भी कोई संगठन या नेता आवाज नहीं उठा रहा। दलितों और अल्पसंख्यकों पर बेतहाशा हमले हो रहे, दलितों और पिछड़ों की आरक्षण व्यवस्था को पंगु बना दिया गया,बहुजनों के संवैधानिक अधिकारों को बुरी तरह काटा जा रहा।बहुजनो के लिए उच्च शिक्षा के द्वार बंद किये जा रहे, संविधान को जलाया जा रहा है, लोकतंत्र को सरे आम लूटा जा रहा, संवैधानिक संस्थाओं और मीडिया को  सरकारी पिंजड़े में बंद कर दिया गया, धार्मिक उन्माद को भड़कया जा रहा, जातीय भेदभाव छुआछूत,पाखंड को फैलाया जा रहा है। महंगाई भ्रस्टाचार गरीबी कुपोषण से देश कराह रहा है,अर्थ व्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था पंगु हो चुकी है, ऐसी स्थिति में देश टूटने की कगार पर है परन्तु दुःख है कि न तो बहुजन हितैषी दलों ने न बहुजन संगठनों ने इन समस्याओं के विरुद्ध कोई बड़ा आंदोलन खड़ा किया और न ही लोकतंत्र और संविधान के तथाकथित हितैषी दलों ने  कोई आवाज बुलंद किया।
Silence आखिर....
देश की समस्याओं पर सब चुप क्यों??
देव.. देश की समस्याओं पर सब चुप क्यों

 इस समय बसपा प्रमुख मायावती की कुनवा परस्ती और  दौलत के दोहन पर सोशल मीडिया पर आक्रामक तेवर दिखाई पड़ रहे हैं।माना बसपा की कार्यप्रणाली से बहुत लोग खुश नहीं हैं,और उनका आक्रोश भी बहुत हद तक सही हो सकता है।पर क्या एक व्यक्ति या एक दल की बुराई कर बहुजन मूवमेंट को सुधारा जा सकता।मेरा मानना है कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन बहुजन हित में काम नहीं कर रहा तो बहुजन समाज धीरे धीरे उस संगठन या नेता को स्वयं नकार देगा
   पर प्रश्न यह भी है कि क्या किसी ने विकल्प तैयार किया।यदि नहीं तो बहुजन समाज फिर कहां जाय?
        इसके अलावा बहुजन समाज की ज्वलंत समस्यायों पर भी कोई संगठन या नेता आवाज नहीं उठा रहा। दलितों और अल्पसंख्यकों पर बेतहाशा हमले हो रहे, दलितों और पिछड़ों की आरक्षण व्यवस्था को पंगु बना दिया गया,बहुजनों के संवैधानिक अधिकारों को बुरी तरह काटा जा रहा।बहुजनो के लिए उच्च शिक्षा के द्वार बंद किये जा रहे, संविधान को जलाया जा रहा है, लोकतंत्र को सरे आम लूटा जा रहा, संवैधानिक संस्थाओं और मीडिया को  सरकारी पिंजड़े में बंद कर दिया गया, धार्मिक उन्माद को भड़कया जा रहा, जातीय भेदभाव छुआछूत,पाखंड को फैलाया जा रहा है। महंगाई भ्रस्टाचार गरीबी कुपोषण से देश कराह रहा है,अर्थ व्यवस्था और शिक्षा व्यवस्था पंगु हो चुकी है, ऐसी स्थिति में देश टूटने की कगार पर है परन्तु दुःख है कि न तो बहुजन हितैषी दलों ने न बहुजन संगठनों ने इन समस्याओं के विरुद्ध कोई बड़ा आंदोलन खड़ा किया और न ही लोकतंत्र और संविधान के तथाकथित हितैषी दलों ने  कोई आवाज बुलंद किया।
manojdev1948

Manoj dev

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