*एहमियत* वो मोहब्बत था इश्क़ नहीं, किस्सा शायद हमारा इतना दिलचस्प नहीं, हो सकता है मैं बोलती कोई बात नहीं, ऐसा नहीं कि मेरे अंदर जज्बात नहीं, आज मैं आपके साथ नहीं, आज भी आपकी खुशी से मिलती राहत यहीं, मैं नहीं कहती कि आज भी ठहरी हूँ यहीं, चलो आपको कुछ बताती हूँ, कुछ राज हैं जो सुनाती हूँ, याद है आपको आपने मुझे क्या समझा था उस एक चीज के लिए मुझको बहुत कोसा था, एक ओर आप थे जिसकी खुशी प्राथमिक थी, एक और मैं,मेरी खुशी,मेरा आत्मसम्मान और स्वाभिमान थे दोनों तरफ़ से जुडा था मेरा धागा, ना चाहते हुए भी मुझे उसके लिए बुरा बनना पड़ा, ना चाहते हुए भी मुझे वो सब करना पड़ा, आज भी तुम्हारी खुशी का ख्याल है, तुम्हारे मन में ना जाने क्या सवाल है, शायद हो सकता है तुम्हारे लिए मैं बहुत गलत हूँ, फकत वक्त मिले तो सोचना की उस एक रिश्ते की खुद से ज्यादा "एहमियत" है? ©️ Jas एहमियत