न जाने क्या सोच कर तूने, जूनून ए काफ़िला रोका है,,,, मै हैरत में हूँ तेरा जज्बा देख कर, तूने दौर ए सिलसिला रोका है। और पत्थर से ख़ाक हो गया है अब तू, थोड़ा डर खुदा से, तूने चरखा चलाने वालों का, रास्ता ए मोहल्ला रोका है, नदियों कि बात करता था कभी तू, कहाँ से आया इतना हौसला,, जो तूने समुंदर कि लहरों का कारवाँ रोका है। #kaarwaan....