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हाय रे पानी पानी रे पानी आकाश में भी तू , धरती पे

हाय रे पानी
पानी रे पानी
आकाश में भी तू , 
धरती पे भी तू ,
पाताल में भी तू 
जाने कितनों को सजीव किये 
जाने कितनों को डुबो खाये 
पानी रे पानी
कहीं घर उजाड़े कहीं खेत उजाड़े
आसमान से बरसे पानी
कहीं कपड़ा वपडा,बर्तन बासन 
गरीब के मोल डुबाये
कैसा है ये पानी 
है बाढ़ पर अड़े
मोल-भाव बाढ़ न करें
हाय रे पानी
पानी रे पानी
कभी कंठ सूखने का महिना आए
तब एक गिलास पानी का भी  
है दाम लगाए
बिकने लगे बोतल में पानी साला पानी में भी 
मिलावट को है पाया
भोली जनता कहाँ कहाँ न  ठगाए
हाय रे पानी
पानी रे पानी
कभी  सूखाती प्यास
 कभी बुझाती स्वास 
हम सबकी शामत आयी
चहुँ ओर धरती पर छायी
 पानी रे पानी
जिधर निकले उधर पानी 
न नैया न पतवार 
प्रकृति ने दी कैसा भ्रम जाल 
कहीं मृगतृष्णा 
कहीं पानी का अथाह सागर 
दोनों बुझा न पाए 
कण्ठ प्यास 
पानी रे पानी 
पानी रे पानी ..
तू रक्षक भी तू भक्षक भी
तेरे बगैर शरीर नहीं 
तू हरती पल में साँस भी 
पानी रे पानी 
पानी पानी .......

#निशीथ

©Nisheeth pandey
  हाय रे पानी
पानी रे पानी
आकाश में भी तू , 
धरती पे भी तू ,
पाताल में भी तू 
जाने कितनों को सजीव किये 
जाने कितनों को डुबो खाये 
पानी रे पानी

हाय रे पानी पानी रे पानी आकाश में भी तू , धरती पे भी तू , पाताल में भी तू जाने कितनों को सजीव किये जाने कितनों को डुबो खाये पानी रे पानी #BahuBali #boat #Remember #कविता #sadquotes #streak #dhundh #bekhudi #निशीथ #humaurtum #NojotoStreak

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