मगर ए हसीन तुझे याद तो होगा। दिन वो आज का हमने था भोगा। लगी आग तन में थी हो गया था रोला। फूटा जब था वो हमपर आग का शोला। तू तो जैसे भट्टी थी कोई तपता शोला। में बहक गया गिरा बनके तुझपे ओला। ठंडी न उतरने में थक तुम गयी थी। डरा के मुझको लपक तुम गयी थी। कभी जानो प्यास तब तेरी क्या थी। मुझको भी न होश लगी न जाने क्या थी। लबो से लबो को हटाने न देती। तुझको थोड़ा भी हटने न देती। वही पल मेरा तो सबसे खास है। तू नही तो यादे तो पास है। #yaaad #intezar #sad