यह कहे, वो कहे, ऐसा कहे, वैसे कहे आप से जाने क्या क्या कहें सोचा किये घर से निकले हर सुबह यही सोच कर हम आप को देख ना जाने ऐसा लगे की होंठ सी गये हो हमारे या फ़िर लबो ने साथ हो दिया छोर जी करे देखे आपको, यूही एक - टक वो सुन ना पाए कभी जो निगाहे कह गयी हमारी कम्बख्त निगाहे हमारी और हम कभी कह ना पाए जो कह गयी निगाहें हमारी निगाहें #ks_kavita