मुझसे क्यों छुपाते हो,बताते क्यों नही हालात। मैं सब सह सकता हूँ,तेरे आंखों के आँशु नही बर्दास्त।। तेरे खुसी के लिए है ये दूरी,दूरी है मेरी मजबूरी। ऐसा ना हो कि कदर ही ना,कर सकू तेरे मेरे जज्बात।। मैं सब सह सकता हूँ,तेरे आंखों के आँशु नही बर्दास्त।। वादा था तेरा मुझसे,है तुझे रोना नही कभी। फिर आंखों में तेरे आँशुओ की,क्यूँ आयी है बरसात।। मैं सब सह सकता हूँ,तेरे आंखों के आँशु नही बर्दास्त।। जो पूछ रहा आनन्द,सुनो सब साफ साफ कहना। जो सितम किया किसी ने,उसे जंहा से कर दूंगा बर्खास्त।। मैं सब सह सकता हूँ,तेरे आंखों के आँशु नही बर्दास्त।। ©Anand Singh Paliwal #तेरे #आँशु #नही #बर्दास्त #adishakti