ऐ आवारगी कब तक मुझे यूँ बेमंज़िल भटकाते रहोगे, कब तक मुझे मुझमें यूँ ही उलझाते रहोगे, कब बढ़ने दोगे मुझे आगे, मेरे इस सफ़र में, मेरे क़दमों में तुम कब तक लड़खड़ाते रहोगे, कैसे समझाऊँ तुम्हें, मैं जागीर नहीं हूँ तुम्हारी, कब तक मेरे ही ज़रिए मुझे ही आजमाते रहोगे, एक ही जगह पे कब से गोल गोल घूमे जा रहा हूँ, मेरे रास्तों पर कब तक बेवजह सवाल उठाते रहोगे, यूँ साथ रहोगे ऐ आवारगी कब तक तुम “साकेत" के, कब तक यूँ ही मुझे दर-ब-दर की ठोकरें खिलाते रहोगे। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla ऐ आवारगी..! #life #rogue #loafing #Hindi #poem #Poetry #hindipoetry #स्याहीकार #my_pen_my_strength #alone