Nojoto: Largest Storytelling Platform

दिल की किताब में लिखते रहे, मोहब्बत में यूँ ही बि

 दिल की किताब में लिखते रहे,
मोहब्बत में यूँ ही बिकते रहे..!

वो नज़रों को दोष देते हैं,
क्यों हम उन्हें दिखते रहे..!

चाहतों के बाग़ को,
जलाया द्वेष की आग ने..!

कठोर ज़माने में रहना,
यूँ ही सदा सीखते रहे..!

मोहब्बत की तलाश में,
अरमानों की लाश लिये..!

बे-मौसम नफ़रत की,
बारिश में भीगते रहे..!

©SHIVA KANT
  #Hum #dilkikitaab