एक नज़्म अब भी बैठी होगी कहीं मेरे इंतज़ार में! ढूँढ अल्ताफ़ निशाँ उसके सहरा में गुलज़ार में. क्यों अल्फ़ाज़ न बरसे अबतक? रुत सावन की बीत रही. कागज़ तनहा है. और स्याही, पड़ी क़लम में सूख रही. भीग जाने दो कागज़ को नज़्मों की बौछार में Finding nazm #Books #poetry #altafkalandar #kalandari