उन फूल से नाजुक बच्चों की आंखों में, जिनके हाथ भी थकते होगें, भीख मांगते सड़को में... पैर भी दर्द से फटते होगें, दर-दर भटकते सड़को में... आँखो की पीड़ा अब कहिं नहीं जाती होगी, एकटक निहारती, इक आश में, इन सड़को में... कुछ तो था... उन चेहरे में, जो शायद बयां कर रही थी उनके मासूमों दिल में छिपे दर्द को... खोये हुये उनके बचपन को, खोई हुई उनकी मासूमियत को, सपनो के टूट जाने के उनके दर्द को, आशीषो के बदले, मिले दुतकार के कष्ट को, कुछ तो था... कुछ तो था... Aesthetic Thoughts द्वारा प्रेषित एक सुंदर #collab #कुछतोथा #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #seventysixthquote