मां बनने जैसी सुखद नियमित के साथ भी कई शारीरिक मानसिक और मनोवैज्ञानिक समस्या जुड़ी हुई है पोस्ट पाटन डिप्रेशन यानी प्रसव उपरांत होने वाला अवसाद भी ऐसी ही परेशानी है कई बार मां बन जाने की नई भूमिका में वह उदासी चिड़चिड़ापन और सबसे अलग-थलग पड़ जाने की सोच यू गिरने लगती है कि आत्महत्या के कगार पर ले जाने वाली स्थिति आ जाती हैं अपनों के सहयोग और संभल के अभाव में कई महिलाएं से अतिवादी कदम उठा भी लेती हैं दरअसल मृत्यु तत्व की महामंडल बना और दायित्व बोध के भाव को लेकर बीते हुए रहते हैं नहीं माताओं को मानसिक और मनोवैज्ञानिक तकलीफों का जिक्र कम ही होता है शारीरिक बदलाव को समझने पर भी ध्यान दिया जाता है इससे उबरने में लगने वाला समय के प्रति भी परिवार जन जागरूक होते हैं लेकिन मन के मोर्चे पर पैदा हुए इस नई भूमिका से जुड़ी बातें कम ही समझ जाती हैं तकलीफ है फायदे की ऐसी तमाम पहलुओं पर ना ही तो कोई संवाद होता है और ना ही सफल दिया जाता है नतीजा जनत इस सुखद भूमिकाओं के पहले गांव पर कई महिलाओं को अकेलापन और अवसाद घेर लेता है हाल ही में उच्च शिक्षा महत्वकांक्षी युवक ने मां बनने के बाद आए ठहराव के चलते पोस्टमार्टम डिप्रेशन के आंकड़े बड़े हैं ©Ek villain #माताओं और अपनों का साथ #City