एक अजीब सी कश्मकश जिन्द़गी सवाल कई जवाब नहीं जिन्द़गी दर्द ही दर्द का एहसास जिन्द़गी टुकड़ो में बटी हुई अल्फ़ाज़ जिन्द़गी खुशियों की बूँद-बूँद को तरसती जिन्द़गी हर इक चीज के लिए तड़पती जिन्द़गी हर पल शोर ही शोर चारों ओर जिन्द़गी तो कभी खामोशियों का आलाम जिन्द़गी तसलसुल वक्त के साथ ढ़लती जिन्द़गी तो कभी वक्त के साथ खेलती जिन्द़गी रेग्ज़ार-ए-आरज़ू में तपती जिन्द़गी तो बे-दस्त-ओ-पा बनी सिसकती जिन्द़गी हाँ,,Queen" शाम-ए-यास ये जिन्द़गी हर- सू अस्कों की बरसात जिन्द़गी ।।। तसलसुल-निरंतरता बे-दस्त-ओ-पा =असमर्थ/लाचार रेग्ज़ार-ए-आरज़ू = इच्छाओं के रेगिस्तान शाम-ए-यास =ना उम्मीदी की शाम हर-सू =हर तरफ़ #तसलसुल #कोराकाग़ज़ #squeen #जिन्द़गी#शाम-ए-यास#हर-सू-रेग्ज़ार-ए-आरज़ू-बे-दस्त#ओ-पा