हर रोज सुनते हो नज्म़ कभी खुद भी सुना दिया करो, हमारी महफ़िल में कर शिरकत चार- चांद लगा दिया करो, बड़ी तहज़ीब से सुनते हो आलम-ऐ-इश्क किसी का, कभी बैठ हमारे साथ हाल-ए-दिल अपना भी बता दिया करो.. #Gazal#Nojoto#Deep_Procha