रोशनी के थे रंगीन झालर बखूब दरो-दीवार पे सबके रौनक थी खूब हमने उम्मीद के बस दिये रख दिए मोम कंदील के अशिये रख दिए बारजे पे सजाई दियों की लड़ी देहरी और मुँडेरे पे भी रख दिए आँगन में उतर आया मेरे जो नूर टिमटिम दमकता हुआ वो ज़हूर मिला माँ की दुआओं सा कुछ सुकूँ घर-आँगन खिले रोशनी के वो फूल ग़मकने लगी मेरी फुलवारी यों जैसे खुशबू के से गुंच हो रख दिए आश तुमने जो दी पास ही रख दिए सब्ज़ यादों के एहसास भी रख दिए शबे नूर अक़्श उसका निखरने लगा हर शफ नक़्श बा नक़्श ही रख दिए #toyou#yqfestivity#yqlove#yqhome#loveyoumummy#yqprayers#yqsustaininghope#yqfaith