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युँही बे सबाब ना फिरा करो, कोई शाम घर भी रहा करो..

युँही बे सबाब ना फिरा करो, कोई शाम घर भी रहा करो.. वो गज़ल की सच्ची किताब है, उसे छुपके-छुपके पड़ा करो.. मुझे इश्तिहार सी लगती हैं.. ये महोब्बतों की कहनीयाँ.. जो सुना नहीं वो कहा करो.. जो कहा नहीं वो सुना करो.

©Haryanvi King #New #shayri #copy #notmytype #like

#Smile
युँही बे सबाब ना फिरा करो, कोई शाम घर भी रहा करो.. वो गज़ल की सच्ची किताब है, उसे छुपके-छुपके पड़ा करो.. मुझे इश्तिहार सी लगती हैं.. ये महोब्बतों की कहनीयाँ.. जो सुना नहीं वो कहा करो.. जो कहा नहीं वो सुना करो.

©Haryanvi King #New #shayri #copy #notmytype #like

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haryanviking6781

A.A.Mangwana

New Creator