जो पूरी हो हर ख़्वाहिश तो नीरसता बढ़ती है लुत्फ़ - ए - हयात के लिए एक हसरत ज़रूरी है अनुशासन, परिपक्वता माना है बेहद ज़रूरी जीने को ज़िन्दगी मगर कुछ ग़फ़लत ज़रूरी है हौसला देती है यूँ तो सुंदर सूरत आँख मिलाने का मिला सको आँख ईश्वर से, अच्छी सीरत ज़रूरी है रख दिये हैं जो जला कर दीये ताक पर तुमने ताक पर हवाओं से उनकी हिफाज़त ज़रूरी है कैसे रहें इस शहर - ए - खुफ्तगां में तुम ही कहो ख़ातिर - ए - सुकूँ अब यहॉं से हिजरत ज़रूरी है लिख रहे हो ख़ुद को जो किताबों में 'कातिब' तुम याद रखना पढ़ सके सभी, ऐसी लिखावट ज़रूरी है ©Prashant Shakun "कातिब" लुत्फ़-ए-हयात------- ज़िन्दगी जीने का मज़ा हसरत--------------- ख़्वाहिश ग़फ़लत-------------- बेपरवाही हिफाज़त------------ सुरक्षा शहर-ए-खुफ्तगां ----- कभी ना सोने वाला शहर हिजरत --------------- पलायन #ज़रूरी_है #poetry #diary #ग़ज़ल #डायरी_के_पिछले_पन्नों_से #प्रशान्त_की_ग़ज़ल