वो महलो की रानी थी, मैं मुफ़लिस इक बंजारा था, गाना बजाने गलियों में उसकी, मेरा आना जाना था। ऐसे ही क़भी हम राहों में, एक दूजे से टकरा ही गए,, कितना खुशनुमा उसका मुझसे, मेरा उससे नैना का टकराना था।। वो महलो की रानी थी, मैं मुफ़लिस इक बंजारा था।। चाहत नही थी उसको, जैसे खेल कोई पुराना था, वक़्त रहते मैंने क़भी भी, उसको नही पहचाना था। वो तो थी इस दुनियाँ में, मुझ मुफ़लिस की सारी दुनियाँ,, उसकी नज़र में मुझसे पहले, शायद सारा ही ज़माना था।। वो महलो की रानी थी, मैं मुफ़लिस इक बंजारा था।। होगी जुदाई में इश्क़ यारो, इस बात से मैं अनजाना था, क़िस्मत ने भी कितना कठिन, लिखा दर्द का अफसाना था। हकीकत सोच भागा किया मैं, जिसके पीछे उम्रभर,, सच्चाई नही कोई "रफ़ीक़", प्यार का इक फ़साना था।। वो महलो की रानी थीं, मैं मुफ़लिस इक बंजारा था,, गाना बजाने गलियों उसकी, मेरा आना जाना था।। #Nashad💔👉👀 Shivam-The Untold S