तेरी मेरी मुलाकात, कुछ इसकदर थी दो अंजान मुसाफिर हम युं मिल गये तुम कहीं और के, मै कहीं और की कोइ नाता नही था, फिर भी जुड गये तुम्हे देखती थी,और नजरें फेर लेती थी तुमसे टकराने पर, युं बगल से निकल लेती थी हम दोनों अनदेखा करते-करते कब दो से एक हो गये कुदरत का करिशमा था कि हम इसकदर मिल गये तेरी-मेरी मुलाकात एक यादगार पल बन गयी तुम मेरे हो गये, मै तेरी हो गयी दो अंजान मुलाकात एक प्रेम कहानी खिल गयी हम दोनो की वो मुलाकात एक सुहानी याद रह गयी