मैं निराश हूं, क्या करुं? आस रख आशा करूं। ये एक वक्फा* है गुज़र जाने दे, वरना किस से उम्मीद-ए-विपाशा@ करुं।। *अन्तराल @ "वसिष्ठ पुत्र शोक से पीड़ित हो अपने शरीर को पाश से बांधकर इस नदी में कूद पड़े थे, किंतु विपाश या पाशमुक्त होकर जल से बाहर निकल आए।" व्यास नदी ने उन्हें बाहर फेंक दिया था।