बहुत से ज़ख्म वो दिल पर लगा के बैठा है । वो मेरे इशक़ में सब कुछ लुटा के बैठा है । बहुत अज़ीज़ है मुझको वो मेरा प्यार है । मेरी मजबुरियो पर वो पर्दा गिरा के बैठा है । बहुत सी तल्ख कलामी सही है मेरे लिए , वो मेरे सामने फिर भी मुस्कुरा के बैठा है । बहुत मजबूर नज़र आता है खुद को "परवेज़", वो अपने हाथ से हिरा गँवा के बैठा है । Written By:-Parhez.Sabri #a_jindgi