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खामोशियों का मौसम आया है हर तरफ खामोशियां नजर आती

खामोशियों का मौसम आया है
हर तरफ खामोशियां नजर आती है
झरने खामोश है नदी खामोश है
हवाओं का संगीत खामोश है
वृक्ष की फुनगी पर बैठी कोयल खामोश है
खामोश वादियों में प्रकृति खिली है
मैं भी खामोश हूं
निहारती हूं इन वादियों को
सुनती हूं हवाओं का खामोश संगीत
किनारे पर बैठ कर सुनती हूं नदी की खामोशी
देखती हूं झरने की खामोश कल-कल
मैं निहारती हूं प्रकृति के अद्वितीय सौंदर्य को
खामोशियों का मौसम आया है

©Beena Kumari
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