कहां जा रहे है हम ये ख़ुद को खो कर नाम पे ये 'ज़माने के साथ चलकर' ये कोनसी हवा बह रही है बहा ले जा रही हमे भी बहार बनकर आंधियों में भी तन कर खड़े थे जो चिराग लड़खड़ा गए है ज़रा सी विपरीत हवा में रहकर हर नांव पैर रखने पर पहले तो डगमगाएगी किनारे को करीब लाने के लिए बढ़ना तो है बैठकर परदेसी पधार रहे घर पर हमारे संस्कार सीखने हम जा रहे परदेस संस्कारो को घर छोड़कर nirmala #कहाँ_जा_रहे_हम