" मेरा बचपन " मुझे बचपन की मार याद हैं । वो चूल्हे की रोटी , वो कच्चा मकान याद है ।। याद है सर में लगाना सरसों का तेल । वो भरी दुपहर , कनचे बजाना याद है ।। बस्ता हुआ करता था , घर का सिला हुआ । वो फटी किताबें , जिलत चढ़ाना याद है ।। चाव कितना हुआ करता था मामा के घर का । छोड़ कर पेपर , माँ के साथ नानी घर जाना याद है ।। वो चिट्ठी खतों का जमाना गया । चौपाटी पर बैठ , बातें बनाना याद है ।। चार आने की टॉफियां तक खायी है मैंने । कहानी के बदले दादा के पाऊँ दबाना याद है ।। सांग देखा नही सुनी है कहानी बस । वो साँप को सपेरे का नचाना याद है ।। बरसो पुरानी बात नही इसी पीढ़ी से हूँ । महाभारत , रामायण में उमड़ा हुजूम याद है ।। मुझे बचपन की मार याद हैं । वो चूल्हे की रोटी , वो कच्चा मकान याद है ।। Rohit Saini "Reflection" " मेरा बचपन " #nojoto#shayari #inayat #kahani.#poetrygang #poetrycommunity Manasvi Saini