बैठे थे आज़माने तन्हाइयों को अपनी हम समंदरों के किनारे तभी, बहा ले गया हमें फिर अपने हि अश्कों का खारा तूफां ऐ खुदा बस कर। ज़मीं के आखिरी कोने पे बसा हि था मेरी रेत सी सोच का घर तभी, तबाह कर गई उसे फिर मेरे अकेलेपन कि वो कातिलाना हवा ऐ खुदा बस कर। ऐ खुदा बस कर क्या तुझे कोई और नज़र नहीं आता है, सह रहा हूँ मैं शायद तभी तू हो बेपरवाह सितम ढाता है। मुज़रिम नहीं मुल्ज़िम हुँ मैं ज़माने का, कभी मैं भी था मदहोशी भरा वो आखिरी घूँट पैमाने का। जन्नतें छोड़ दिल मे आ, फितरतें छोड़ दिल मे आ कि शायद समझ पाएगा तू तभी, कि बस चुप हूँ मैं बस खामोश हूँ मैं नहीं हूँ मुर्दा ज़ुबाँ, ऐ खुदा बस कर, ऐ खुदा बस कर, ऐ खुदा बस कर ऐ खुदा हो सके तो अब बस कर। #shaayavita #khuda #tanhaaiyan #enough #bas #nojoto #zindagi