मै और ये खुला आस्माँ, मानो इन्तज़ार कर रहे हो तेरा। साथ है रातो की तन्हाई, और बस ये अन्धेरा। इस अन्धेरे मे बेजह नींद ना आना, शायद हो जैसे इन्तज़ार तेरा, घुटकर जीना जैसे मकसद हो अब, मगर उसपर भी तेरी झुल्फो का पहरा, हाथ खाली परवाह नही, हो इन्तज़ार जैसे तेरा, निगाहे मानो ढूंढ़ती हो तुझे, मगर तेरा भी अन्धेरे मे कहीं खो जाना मै और ये खुला आस्माँ।। मै और ये खुला आस्माँ।। मै और ये खुला आस्माँ