इन हवाओं के संग मैं गुजर जाऊंगा मैं वो बिता लम्हा हूं ना वापस आऊंगा तेरे यादों में चंद लम्हा छोड़ जाऊंगा ए दिले दिलदार वापस ना आऊंगा क्या अभी भी इख्तियार (पसंद) हूं तुझे मैं नही तो यार स्मृति से विसरा दे मुझे तु मुझे खुद ही पता नही किधर को मैं जाऊंगा कहीं वापस आऊंगा या मैं भटक जाउंगा छोड़ कर एक दिन सबको चला जाउंगा इन हवाओं के संग मैं बहता चला जाउंगा मैं वो बिता लम्हा हूं ना वापस आऊंगा 🌟 ©Rudra Pratap Pandey #walkingalone #रुद्र की शायरी