मै अब चुप हो जाउंगा। किसी पत्थर की तरह, शांत,कठोर और निर्जीव किसी फूल की तरह, अविचल, कोमल और सजीव निर्जीव-सजीव,कोमल-कठोर यह चिंताजनक नहीं,चिंता ये है मै हो रहा हूं! भावमुक्त,पथहीन किसी पुरानी इमारत की तरह संवरने की आश में ढह जाऊंगा जो भी हो! मै अब चुप हो जाऊंगा। #अभिषेक यादव