Manmohan Singh खामोशी भी विचार करें की बंदे ने यह क्या कर डाला मेरा तो स्वरूप ही बदल डाला ki खामोशी बुलंदी का दूसरा नाम गीदड़ करते किलकारियां जब सिंह सेज पर सोते हैं कलरव होता पंछियों का जब बाज खामोशी होते हैं देख संकट के बादल को नीड़ परिंदे सोते हैं लेकिन खामोश मुसाफिर बाज से बाज से संकट में मौका पाते हैं इस दुनिया खामोशी व्यक्ति को अवसर का अवमानना करने वाला बताया जाता है लेकिन खामोश रहते हुए अवसर का स्वागत करने वाला वास्तव में कोई बिरला ही होता जो खामोशी का स्वरूप बदल देता है जरूरी नहीं कि हर दहाड़ का अर्थ गर्जना कुछ दहाड़े मौन रहकर भी की जाति सी होने का अर्थ यह नहीं कि वह हमेशा अपना खौफनाक रूप ही दिखाएगा बल्कि प्रेम भाव से भी जंगल का राजा बना जा सकता राजा का अर्थ तानाशाही नहीं बल्कि प्रजा रंजन होता है हमारी मनमोहन सिंह जी को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई उन्होंने उन्होंने कुछ दिया हो या नहीं लेकिन यह जरूर संदेश दिया है की खामोशी का अर्थ भी बुलंदी ही है ऐसी बुलंदी जिसकी ना तो गर्जना होती ना कोई रौनक लेकिन वह सर्वोत्तम होती