कभी ख़्वाहिश हुई की तुझे छुलूँ मैं, कभी ख़्वाहिश हुई की तुझे पालू, जसब्त ये कब तक तुझे देख देख कर सम्हा लू, कभी कभी देखु तुझे अपना कभी अपना बना लू, इस सोच में गुज़र रहा हूँ मैं , की किस ख़्वाब में तुझे अपना बना लू ॥ किस सोच में डूबा हूँ की तुझे पा लू , मैं कैसे ये अपने ख़्वाब सजा लू, #yourquotesdidi #yourquote #yourquotediary #yourquotesshayri