फिर किसी के लब की दुआ और किसी के हाथों का सलाम हुआ जाए आओ ढूंढते है कोई अलिफ़ फिर किसी की सुबह-शाम हुआ जाए । ज़िंदगी तो गुजरती है गुजर जाएगी यू भी चलो इबादत_ए_ इश्क़ करे और कतरा-कतरा खूबसूरती से तमाम हुआ जाए । अभी तो आशिक़ी में है जी भर के खुशियां लौटाएगा दो पल हँसी के बचा लेना तेरे गम में काम आएगा । सोचा था सफर इश्क़ का है पर अकेले ही जाएंगे करेंगे इश्क़ की नौकरी पर कभी काम पर नही जाएंगे तुम से मिले तो पता ही बदल गया मेरी महफ़िल का लोग अक्सर मुझे तेरे ख्यालो में भटकता हुआ पाएंगे वादा किया है यारो से अमावस में चाँद दिखाने का तुम कुछ देर के लिए छत पर आ जाना हम शर्त जीत जाएंगे। मैखाने बन्द है शहर में तेरी आँखों का दीदार भी नही होता ख्वाहिश उठी जो पीने की तो आशिक़ कहां जाएंगे । वो कोई और होंगे जो इश्क़ सूरत देखकर दर बदल देते है हमें तो मोहब्बत सीरत से है जब तक जीएंगे महक तेरी दिल में बसाएंगे । रगों से खून निकल जाए तो अपना खून भी रंग बदल देता है तुम्हे भी छूट है तुम भी बदल जाना हम भी सुकून से याद किए जाएंगे ।। टीम 17 __" साहित्य संजीवनी " #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #हमलिखतेरहेंगे #साहित्य_संजीवनी एक विनम्र निवेदन टीम कोरा कागज से कि मैंने पहले जो पोस्ट डाली थी उस पर टीम के सदस्य collab नहीं कर पा रहे हैं इसीलिए मुझे फिर से कोलैब ऑप्शन ऑन करके पोस्ट डालनी पड़ रही है । इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं । #YourQuoteAndMine