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बारिश की बूंदे  अब शीशे की खिड़कियों में आ कर रु

  बारिश की बूंदे 
अब शीशे की खिड़कियों में आ कर रुक गईं
हम इस पार थे,आहट उनकी उस पार थम गईं
मैं बस यादों में खोया रहा,
बचपन की बारात कहीं गुम गई 
बारिश की बूंदे शीशे में आकर थम गई।

भीगने के एहसास बंद आंखों में जिंदा हैं
  बारिश की बूंदे 
अब शीशे की खिड़कियों में आ कर रुक गईं
हम इस पार थे,आहट उनकी उस पार थम गईं
मैं बस यादों में खोया रहा,
बचपन की बारात कहीं गुम गई 
बारिश की बूंदे शीशे में आकर थम गई।

भीगने के एहसास बंद आंखों में जिंदा हैं