है अन्धेरा कहीं तो कहीं उजाला होता है , है खुशी कहीं तो कहीं कोई रोता है !! पूरब का अन्धेरा पश्चिम में उजाला फैलाता है , पश्चिम में हो रात तो पूरब में सबेरा कहलाता है !! कहीं मातम तो कहीं शहनाई बज रही होती , कहीं प्रेम की भाषा तो कहीं दुश्मनी ठन रही होती !! वक़्त के आगे न कोई राजा रहा न कोई भिखारी , वक़्त बदलते ही रन्क बने राजा , राजा बने भिखारी !! यह जीवन चक्र सदा चलता रहता है , वक़्त ठहरता नहीं यह हमेशा बदलता रहता है !! वक़्त ( "वक़्त" ) है अन्धेरा कहीं तो कहीं उजाला होता है , है खुशी कहीं तो कहीं कोई रोता है !! पूरब का अन्धेरा