अच्छा रहा जीवित नहीं देश के महापुरुष देख कर जीवित न रहते देश के महापुरुष हो रही है लूट-पाट देश में बेईमानियां स्वार्थ कारण बन रहा बुराई की निशानियां दे कर हमें हाथ में देश की आज़ादियां चले गए वो स्वर्ग को छोड़ कर निशानियां गए थे बनाकर वे इस देश का भविष्य नोंचते भविष्य देश का अपनों की ये टोलियां सीख कुछ उनसे भी तू जो देश के खातिर मरे आपस में लड़ता रहे दुश्मन इसी की ताक में एकता को तोड़ने में दुश्मन इसी फ़िराक में न कर उन्हें बुलंद तू जवाब दे चालाक से प्रेरणा तुझे मिले छोड़ गए पदचिह्न को तू सोच कर विचार कर देख ले पदचिह्न को हौंसला बुलंद कर आरम्भ कर इस राह को देश को सफल बना कर तू हासिल जीत को हौसला बुलंद कर,कर तू हासिल जीत को हौसला बुलंद कर हौसला बुलंद कर 'शिखा' #हौसलाबुलंदकर#peom#hindipoem#nojotohindi#Gudiagupta