अधूरी जिंदगी को तूने आके कर दिया पूरा बहुत कुछ था मेरी जानाँ, मगर मैं था अधूरा, हाँ अधूरा अधूरी जिंदगी को तूने आके कर दिया पूरा भटकता मरुथलों में तरुवरों की चाह मन में थी सफर में था मगर एक हमसफर की चाह मन में थी अनुकृति बन रही थी, मिट रही थी, रात दिन मन में मुहब्बत तक पहुंचने की असीमित चाह मन में थी अधूरा दिल, अधूरा ख़्वाब, अरमां था अधूरा, हाँ अधूरा अधूरी जिंदगी को तूने आके कर दिया पूरा ©Ashish #ashishashish #Drops