------- "वस्तु और भावना वस्तुओं और भावनाओं में अंतर होता है प्यारे, वस्तुओं को तो खरीद-बेच सकते हो,भावनाएँ नहीं।। वस्तुओं का सौदा गलत बात नहीं है प्यारे, लेकिन भावनाओं का सौदा नहीं। वस्तुओं का होता है वज़न,नाप-तौल, वस्तुओं का होता है प्यारे मोल। लेकिन भावनाएं कोई वस्तु नहीं दोस्त जो कीजिये इसका नाप-तौल और मोल। वस्तुओं और भावनाओं में होता अंतर, वस्तुओं को खरीदने का आधार धन होता, लेकिन प्रेम इत्यादि को खरीदा-बेचा नहीं, जीता जाता है मगर...।। तो बताये जनाब कौन सा पलड़ा भारी है, धन का या प्रेम का, धन तो ज़रूरते पूरी करता हमारी, प्रेम हमारी वीरान,अधूरी ज़िन्दगी को पूरी करता है।। ----- नेहांश कुलश्रेष्ठ #वस्तु_और_भावना