دوستو آداب.. یہ جبر بھی دیکھا ہے تاریخ کی نظروں نے لمحوں نے خطا کی تھی صدیوں نے سزا پائی مظفر رزمی" آج کا لفظ کے، تاریخ" اس لفظ کے استعمال سے کوئی نظم، قطعہ یا شعر لکھیں۔ شکریہ۔ ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई "मुज़फ़्फ़र रज़्मी" तारीख़" आज इस लफ़्ज़ को इस्तेमाल करते हुए शेर , नज़्म या क़ता लिखें। शुक्रिया।